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Monday, August 25, 2014

त्रिफला के चमत्कारी गुण सब रोगों की एक दवा -त्रिफला

#त्रिफला एक प्रसिद्ध #आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें #आंवला #बहेडा और #हरड़ को बीज निकाल कर समान मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल" ।
संयमित आहार-विहार के साथ त्रिफला का सेवन करने वाले व्यक्तियों को #ह्रदयरोग, उच्च #रक्तचाप, #मधुमेह, #नेत्ररोग, पेट के विकार, मोटापा आदि होने की संभावना नहीं होती। यह कोई 20 प्रकार के प्रमेह, विविध #कुष्ठरोग, #विषमज्वर व #सूजन को नष्ट करता है। #अस्थि, #केश, #दाँत व पाचन- संसथान को बलवान बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को #निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है।
#औषधि_के_रूप_में_त्रिफला



1..रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।
2..त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होता है।
3.इसके सेवन से नेत्रज्योति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
4.सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी ले। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें। इस पानी से आँखें भी धो ले। मुँह के छाले व आँखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे।
5.शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।
6.एक चम्मच बारीख त्रिफला चूर्ण, गाय का घी10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, द्रष्टि दोष आदि नेत्ररोग दूर होते है। और बुढ़ापे तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।
7.त्रिफला के चूर्ण को गौमूत्र के साथ लेने से अफारा, उदर शूल, प्लीहा वृद्धि आदि अनेकों तरह के पेट के रोग दूर हो जाते है।
8.त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल कर सकता है, त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई को बढ़ावा देती हैं।
9.चर्मरोगों में (दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि) सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए।
10.एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजा पानी मे दो- तीन घंटे के लिए भिगो दे, इस पानी को घूंट भर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दे। कभी कभार त्रिफला चूर्ण से मंजन भी करें इससे मुँह आने की बीमारी, मुहं के छाले ठीक होंगे, अरूचि मिटेगी और मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी ।
11.त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के भीतर की छाल और गिलोय इन सबको मिला कर मिश्रण को आधा किलो पानी में जब तक पकाएँ कि पानी आधा रह जाए और इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम गुड या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर हो जाती है।
12.त्रिफला एंटिसेप्टिक की तरह से भी काम करता है। इस का काढा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते है।
13.त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने वाला है।
14.मोटापा कम करने के लिए त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर ले।त्रिफला चूर्ण पानी में उबालकर, शहद मिलाकर पीने से चरबी कम होती है।
15.त्रिफला का सेवन मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में बहुत लाभकारी है। प्रमेह आदि में शहद के साथ त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता है।
16.त्रिफला की राख शहद में मिलाकर गरमी से हुए त्वचा के चकतों पर लगाने से राहत मिलती है।
17.5 ग्राम त्रिफला पानी के साथ लेने से जीर्ण ज्वर के रोग ठीक होते है।
18.5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गोमूत्र या शहद के साथ एक माह तक लेने से कामला रोग मिट जाता है।
19.टॉन्सिल्स के रोगी त्रिफला के पानी से बार-बार गरारे करवायें।
20.त्रिफला दुर्बलता का नास करता है और स्मृति को बढाता है। दुर्बलता का नास करने के लिए हरड़, बहेडा, आँवला, घी और शक्कर मिला कर खाना चाहिए।
21.त्रिफला, तिल का तेल और शहद समान मात्रा में मिलाकर इस मिश्रण कि 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है इसे महीने भर लेने से शरीर का सुद्धिकरन हो जाता है और यदि 3 महीने तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर कांती आ जाती है।
22.त्रिफला, शहद और घृतकुमारी तीनो को मिला कर जो रसायन बनता है वह सप्त धातु पोषक होता है। त्रिफला रसायन कल्प त्रिदोषनाशक, इंद्रिय बलवर्धक विशेषकर नेत्रों के लिए हितकर, वृद्धावस्था को रोकने वाला व मेधाशक्ति बढ़ाने वाला है। दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।
23.डेढ़ माह तक इस रसायन का सेवन करने से स्मृति, बुद्धि, बल व वीर्य में वृद्धि होती है।
#त्रिफला_से_कायाकल्प
1.एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।
2.दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।
3.तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।
4.चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है ।
5.पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।
6.छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।
7.सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।
8.आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।
9.नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।
10.दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है।


Friday, August 22, 2014

Asafoetida benefits for Health Ayurveda



#‎हींग‬ एक पौधे का चिकना रस है जिसे निकालकर सुखा लिया जाता है। यह स्वाद और गंध में बहुत ही तीखी होती है। हींग भूख को बढ़ाती है, ‪#‎कफ‬ और ‪#‎वात‬ को खत्म करती है, सांस की बीमारी और ‪#‎खांसी‬ का नाश करती है।
‪#‎हींग_के_फायदे‬,
‪#‎कान‬ में दर्द रहता है तो थोड़े ‪#‎सरसों‬ के तेल में जरा-सी हींग डालकर अच्छी तरह गर्म कर लें, जब हल्का गर्म रह जाए तो छान कर, बूंद-बूंद करके कान में डालें। कफ के कारण उत्पन्न हुआ यह दर्द ठीक हो जाएगा।
पेट में ‪#‎गैस‬ की समस्या है तो हींग को पानी में धोलकर नाभि के आसपास ‪#‎लेप‬ करें। पेट की गैस निकल जाएगी। यह उपाय खासकर छोटे ‪#‎बच्चों‬ के लिए बहुत ही कारगर साबित है।
भूनी हुई हींग में आधा से एक ग्राम, ‪#‎अजवाइन‬ और काला ‪#‎नमक‬ मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से पेट में गैस का बनना व ऊपर चढ़ना एकदम ठीक हो जाता है।
‪#‎जुकाम‬ में भी खूब कारगर है हींग का उपयोग। 1-1 ग्राम मात्र में हींग, ‪#‎सोंठ‬ और ‪#‎मुलहठी‬ को बारीक पीस लें। अब इसमें गुड़ या शहद मिलाकर छोटी-छोटी चने के आकार की गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह और शाम चूसें, जुकाम ठीक हो जाएगा।

कफ नाक में जमा हो जाता है तो हींग के घोल को नाक से सूंधें। नाक में जमा हुआ कफ निकल जाएगा और उसकी बदबू भी दूर हो जाएगी।
‪#‎मासिक‬ धर्म के दौरान होने वाले दर्द से परेशान रहती हैं? तो लगभग आधा ग्राम भूनी हुई हींग तीन दिन तक सुबह पानी के साथ लें। दर्द दूर हो जाएगा। यह प्रयोग मासिक धर्म शुरू होने वाले दिन से करें।
बच्चे को अगर ‪#‎गुदा‬ मार्ग में कीड़े लगे हों तो, थोड़ा सा हींग पानी में धोलकर गुदा मार्ग पर लगाए। कीड़े नष्ट हो जाएंगे।
अगर पैर की ‪#‎एड़ियां‬ फट गई हों, तो ‪#‎नीम‬ के तेल में हींग डालकर उसे फटी जगह पर लगाएं। एड़ियां ठीक हो जाएंगी।
केले के गूदे में या गुड़ में बाजरे के दाने के बराबर हींग रखकर खाने से उल्टी आना, डकार आना और हिचकी आना बंद हो जाता है।
रोजाना दाल व सब्जियों में हींग का छौंक लगाने से पेट संबंधी रोग ठीक रहते हैं।
अगर जी मिचलाता हो तो 5 ग्राम भूनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का और थोड़ा सा काला नमक लेकर पींस लें। चौथाई चौथाई चम्मच दिन में तीन बार लें। जी मिचलाना ठीक हो जाएगा।
दांत में दर्द ठीक करना हो तो अफीम और हींग का फोहा दर्द वाली जगह पर रखें, आराम मिलेगा।

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Thursday, August 21, 2014

Ginger Tea Recipe: Home Remedy For Cold, Cough And Flu






ginger tea recipe
Ginger Tea 

Ginger Tea Recipe: Home Remedy For Cold, Cough And Flu

Try this ginger tea, for cold,cough and flu
Ingredients
Ginger – a one inch piece
Tulsi leaves – 10
Tea powder – 1/2 tsp
Sugar – as needed

Method
Crush ginger and tulsi leaves coarsely.
Boil a cup of water in a pan.
Add tea powder and when it starts boiling, add ginger, tulsi and swtich off the stove.
Strain into a cup, add sugar and mix well.
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