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Tuesday, May 6, 2014

Perfected concluded: Peppermint

सर्वगुण सम्पन्न :पुदीना

आइये आज हम सब पोदीने के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं.पोदीना एक प्रकार की घास है, जिसके पत्ते गोल छोटे और खुशबूदार होते हैं, यह जमीन के ऊपर फैलता है।पोदीना का लेटिन नाम मेन्था स्पाइकेटा है। पुदीना बहुत ही स्वादिष्ट और रिफ्रेशिंग होता है। यह विटामिन ए से भरपूर होने के साथ-साथ बहुत ही गुणकारी भी है। यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। यह पेट के विकारों में काफी फायदेमंद होता है।पोदीना धातु के लिए हानिकारक होता है। पित्तकारक प्रकृति होने के कारण पित्त प्रवृति के लोगों को पोदीने का सेवन कम मात्रा में कभी-कभी ही करना चाहिए।पोदीना भारी, मधुर, रुचिकारी, मल
मूत्ररोधक, कफ, खांसी, नशा को दूर करने वाला तथा भूख को बढ़ाने वाला है। पोदीने में कैलोरी ,प्रोटीन, पोटेशियम, थायमिन, कैल्शियम, नियोसीन, रिबोफ्लेविन, आयरन, विटामिन-ए,बी ,सी डी और इ, मेन्थाल, टैनिन आदि रासायनिक घटक पाए जाते हैं।इसे तो देखते ही ठंडक दिल में उतर जाती है.पोदीना है बड़े काम की चीज ,कई सारे रोग आप इससे दूर भी कर सकते हैं.
पोदीने की उपयोगिता:


१.पोदीने का रस कृमि (कीड़े) और वायु विकारों (रोगों) को नष्ट करने वाला होता है। पोदीने के ५ मिलीलीटर रस में नींबू का 5 मिलीलीटर रस और 7-8 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से उदर (पेट) के रोग दूर हो जाते हैं।


२.२ चम्मच पुदीने का रस, 1 चम्मच नींबू का रस और २ चम्मच शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट के रोग दूर होते हैं। 


३.100 मिलीलीटर पुदीना का रस गर्म करके, ९ ग्राम शहद और लगभग ६ ग्राम नमक को मिलाकर पीने से उल्टी होकर पेट की बीमारी ठीक हो जाती है।

४.हरा धनिया, पोदीना, कालीमिर्च, अंगूर या अनार की चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अरुचि (भूख का न लगना) समाप्त होती है और पाचन क्रिया तेज होने से भूख भी अधिक लगती है।

५.५-५ ग्राम पोदीना, लोहबान और अजवायन का रस, ५ ग्राम कपूर और ५ ग्राम हींग को २५ ग्राम शहद में मिलाकर एक साफ शीशी में भरकर रख लें, फिर पान के पत्ते में चूना-कत्था लगाकर शीशी में से ४ बूंदे इस पत्ते में डालकर खाने से गले का दर्द दूर होता है।

६.शराब के अंदर पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई सब मिट जाते हैं और चेहरा चमक उठता है।


७.पुदीना के रस को शहद के साथ पन्द्रह दिनों तक सेवन करने से पीलिया में लाभ होगा। पोदीने की चटनी नित्य रोटी के साथ खाने से पीलिया में लाभ होता है।

८.५0 ग्राम पोदीने को पीसकर उसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक, हरा धनिया और कालीमिर्च को डालकर चटनी के रूप में सेवन करने से निम्न रक्तचाप में  लाभ होता है।

९.हरे पोदीने को पीसकर कम से कम २0 मिनट तक चेहरे पर लगाने से चेहरे की गर्मी समाप्त हो जाती है।

१०.गठिया के रोगी को पोदीने का काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में आराम मिलता है।

११.२ चम्मच पुदीने की चटनी शक्कर में मिलाकर भोजन के साथ खाने से मूत्र रोग में  लाभ होता है।

१२.पोदीने की पत्तियों को थोड़े-थोड़े समय के बाद चबाते रहने से मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है। पोदीने की १५-२०हरी पत्तियों को १ गिलास पानी में अच्छी तरह उबालकर उस पानी से गरारे करने से भी मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है।

१३.पोदीने के पत्तों को पीसकर किसी जहरीले कीड़े के द्वारा काटे हुए अंग (भाग) पर लगाएं और पत्तों का रस २-२ चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से आराम मिलता है।

१४.पोदीने की पत्तियों को पीसकर गाढ़े लेप को सोने से पहले चेहरे पर अच्छी तरह से मल लें। सुबह चेहरा गर्म पानी से धो लें। इस लेप को रोजाना लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे, झांइयां और फुंसियां दूर हो जाती हैं और चेहरे पर निखार आ जाता है।

१५.बेहोश व्यक्ति को पुदीना की खुशबू सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है। पोदीने के पत्तों को मसलकर सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

१६.पेट दर्द :
  • २ चम्मच पोदीने के पत्तों का सूखा चूर्ण और 1 चम्मच मिश्री या चीनी मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
  • सूखा पोदीना और चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर २ चम्मच की फंकी लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
  • ५-५ मिलीलीटर पोदीना का रस, अदरक का रस और 1 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द दूर हो जाता है।
  • ५ मिलीलीटर पोदीने का रस और ५ मिलीलीटर अदरक के रस को मिलाकर, उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर सेवन करने से उदर शूल (पेट में दर्द) समाप्त हो जाता है।
  • पोदीना के ७ पत्ते और छोटी इलायची का 1 दाना पानी के पत्ते में लगाकर खाने से पेट में होने वाले दर्द में लाभ करता है।
  • पोदीना के पत्तों का शर्बत पीने से पेट का दर्द समाप्त हो जाता है। 4 ग्राम पुदीने में आधा-आधा चम्मच सौंफ और अजवायन, थोड़ा-सा कालानमक और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हींग को मिलाकर बारीक मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें, इस बने चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट में होने वाले दर्द में लाभ होता है।
  • 3 ग्राम पोदीना, जीरा, हींग, कालीमिर्च और नमक आदि को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
  • पोदीना, सौंफ, सोंठ और गुलकंद को अच्छी तरह पीसकर पानी में उबालकर दिन में 3 बार रोजाना खुराक के रूप में पीने से पेट के दर्द और कब्ज की शिकायत दूर होती है।
  • 2 चम्मच सूखे पुदीने को काले नमक के साथ सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
  • सूखा पोदीना और चीनी को बराबर मात्रा में पीसकर रख लें, फिर २ चम्मच को फंकी के रूप में गर्म पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है। 
१७.पोदीना १० ग्राम और २0 ग्राम गुड़ को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से बार-बार पित्ती निकलना ठीक हो जाती है। पोदीने को पानी के साथ काढ़ा बनाकर थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर खाने से पित्त में बहुत ही लाभ होता है।

१८.पेट के गैस :
  • ४ चम्मच पोदीने के रस में 1 नींबू का रस और २ चम्मच शहद मिलाकर पीने से गैस के रोग में आराम आता है।
  • सुबह 1 गिलास पानी में २५ मिलीलीटर पोदीना का रस और 30 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस समाप्त हो जाती है।
  • ६० ग्राम पोदीना, 10 ग्राम अदरक और ८ ग्राम अजवायन को 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें। उबाल आने पर इसमें आधा कप दूध और स्वाद के अनुसार गुड़ मिलाकर पीएं। चौथाई कप पोदीने का रस आघा कप पानी में आधा नींबू निचोड़कर ७ बार उलट-उलट कर पीने से भी गैस से होने वाला पेट का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
  • पोदीने की ताजी पत्ती, छुहारा, कालीमिर्च, सेंधानमक, हींग, कालीद्राक्ष (मुनक्का) और जीरा इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर खाने से भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न होती है, स्वाद आता है, गैस दूर होकर भोजन पचाने की क्रिया तेज होती है और मुंह का फीकापन दूर होता है।
  • 20 मिलीलीटर पोदीने का रस, 10 ग्राम शहद और ५ मिलीलीटर नींबू के रस को मिलाकर खाने से पेट के वायु विकार (गैस) समाप्त हो जाते हैं।
  • पुदीने की पत्तियों का २ चम्मच रस, आधा नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है। 
१९.पोदीने का रस रोगी को पिलाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

२०.बिच्छू के काटने पर पोदीने का लेप करने और पानी में पीसकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।पोदीने का रस पीने से या उसके पत्ते खाने से बिच्छू के डंक मारने से होने वाला कष्ट दूर होता है।

२१.लू का लगना:
  • लगभग २० पोदीने की पत्तियां, लगभग 3 ग्राम सफेद जीरा और २ लौंग मिलाकर इन सबको पीसकर जल में घोलकर, छानकर रोगी को पिलाने से लू से होने वाली बेचैनी खत्म हो जाती है।
  • लगभग १५० मिलीलीटर पोदीने के रस को इतने ही ग्राम पानी के साथ पीने से लू से होने वाले खतरों से बचा जा सकता है।
  • सूखा पोदीना, खस तथा बड़ी इलायची लगभग ५०-५०ग्राम की बराबर मात्रा में लेकर कूट लें और इसका चूर्ण बना लें, फिर इसे एक लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को ठंडा करके लगभग १०० मिलीलीटर की मात्रा में पीने से लू ठीक हो जाती है। 
२२.घबराहट व बैचेनी में पोदीने का रस लाभदायक होता है।

२३.पुदीने के रस में नींबू का रस मिलाकर, पानी में डालकर पिलाने से यकृत वृद्धि मिट जाती है।

२४.जंगली पुदीना और हंसराज दोनों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर सेवन करने से प्रजनन में दर्द नहीं होता है।

२५.कफ (बलगम) होने पर चौथाई कप पोदीने का रस इतने ही गर्म पानी में मिलाकर रोज 3 बार पीने से कफ में लाभ होता है।
२६.1 कप पानी में पुदीने की चटनी बनाकर, थोड़ी-सी चीनी डालकर अच्छी तरह मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त के कारण पेट में होने वाली जलन को शांत होती है।

२७.3 ग्राम पोदीने के रस में हींग, जीरा, कालीमिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर गर्म करके पीने से पेट के दर्द और अरुचि (भोजन की इच्छा न होना) रोग ठीक हो जाते हैं।

२८.पोदीने की पत्तियों और कालीमिर्च को मिलाकर गर्म-गर्म चाय रोगी को पिलाने से सर्दी-खांसी, जुकाम, दमा और बुखार में आराम मिलता है।

२९.आधा कप पोदीने का रस दिन में २ बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक पिलाते रहने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
३०.४-६ मुनक्का के साथ १० पोदीने की पत्तियां सुबह-शाम खाने के बाद नियमित रूप से चबाते रहने से बदहजमी में आराम मिलेगा। 

३१.चौथाई कप पोदीना का रस इतने ही पानी में मिलाकर रोजाना 3 बार पीने से खांसी, जुकाम, कफ-दमा व मंदाग्नि में लाभ होता है।

३२.जुकाम:
  • पोदीना, कालीमिर्च के पांच दाने और नमक इच्छानुसार डालकर चाय की भांति उबालकर रोजाना तीन बार पीने से जुकाम, खांसी और मामूली ज्वर में लाभ मिलता है।
  • पोदीने के रस की बूंदों को नाक में डालने से पीनस (जुकाम) के रोग में लाभ होता है।
  • पोदीने की चाय बनाकर उसके अंदर थोड़ा-सा नमक डालकर पीने से खांसी और जुकाम में लाभ मिलता है।
  • पोदीने के रस की 1-2 बूंदे नाक में डालने से पीनस (जुकाम) रोग नष्ट हो जाता है। 

३३.चोट लग जाने से रक्त जमा हो जाने (गुठली-सी बन जाने पर) पुदीना का अर्क (रस) पीने से गुठली पिघल जाती है।पोदीने का रस पिलाने से जमा हुआ खून टूटकर बिखर जाता है।सूखा पोदीना पीसकर फंकी लेने से खून का जमाव बिखर जाता है।

३४.२० हरे पुदीना की पत्तियां, ५ ग्राम जीरा और थोड़ी-सी हींग, कालीमिर्च के 10 दाने, चुटकीभर नमक को मिलाकर चटनी बनाकर 1 गिलास पानी में उबालें जब पानी आधा गिलास शेष रह जाए, तो छानकर पीने से अपच में लाभ होता है।

३५.पुदीने के पत्तों को पीसकर पोटली बनाकर जख्म पर बांधने से घाव के कीड़े मर जाते हैं।

३६.पुदीना के पत्तों का अधिक मात्रा में बार-बार सेवन करने से माहवारी शुरू हो जाती है। इसे चाहे जिस रूप में सेवन किया जाए या इसके पत्तों को पीस-घोलकर या मिश्री मिलाकर शर्बत के रूप में सेवन करना चाहिए।
३७.पुदीने की चटनी कुछ दिनों तक लगातार खाने से मासिक-धर्म नियमित हो जाता है। 

३८.कान के अंदर अगर बहुत ही बारीक कीड़ा चला जाये तो कान में पुदीने का रस डालने से कान का कीड़ा समाप्त हो जाता है।कान में दर्द हो तो पोदीना का रस डालें या हरी मकोय का रस कान में डालना चाहिए।

३९.पुदीना का रस लगभग ३० मिलीलीटर प्रत्येक ६ घंटे पर गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से जी का मिचलाना बंद हो जाता है।
४०.पुदीना को पानी से पीसकर घोल बनाकर दिन में 3 से ४ बार कुल्ला करने से मुंह से दुर्गंध व अन्य रोग भी ठीक होते हैं।

४१.हिचकी:
  • पोदीने के पत्तों को चूसने और पत्तों को नारियल (खोपरे) के साथ चबाकर खाने से हिचकी दूर होती है।
  • पोदीने के पत्ते या नींबू को चूसने या पोदीने के पत्तों को शक्कर (चीनी) में मिलाकर चबाने से हिचकी का आना बंद हो जाता है।
  • पुदीना के सूखे और हरे पत्ते को शक्कर के साथ चबाने से हिचकी नहीं आती है।
  • २ मिलीलीटर हरे पुदीने के रस में २ ग्राम चीनी मिलाकर चबाने से हिचकी मिट जाती है।
  • पुदीने के पत्ते को मिश्री के साथ खाने से हिचकी मिट जाती है।
  • पुदीना के रस को हिचकी में पीने से लाभ होता है।
  • हिचकी बंद न हो तो पुदीने के पत्ते या नींबू चूसें। पुदीने के पत्तों पर शक्कर डालकर हर दो घंटे में चबाने से हिचकी में फायदा होता है।
  • 1-1 गोली पुदीना खाना-खाने के बाद सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
  • 1 चम्मच पुदीने का रस, 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच शक्कर आदि तीनों को एक साथ मिलाकर पीने से हिचकी नहीं आती है। 
४२.पोदीना १० या २० ग्राम को २०० मिलीलीटर पानी में उबालकर छानकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।

४३.सिर पर हरे पोदीने का रस निकालकर लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है। 

४४.हैजा:
  • पोदीने का रस पीने से हैजा, खांसी, वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त) के रोग में लाभ होता है। इससे पेट में से गैस और कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं।
  • हैजा होने पर पोदीना, प्याज और नींबू का रस मिलाकर रोगी को देने से लाभ मिलता है।
  • किसी व्यक्ति को हैजा होने पर उस व्यक्ति को प्याज का रस पिलाने से हैजे के रोग में आराम आता है।
  • २५ पुदीने की पत्तियां, ५ कालीमिर्च, काला-नमक २ चुटकी, २ भुनी हुई इलायची, 1 चोई इमली पकी। इन सब चीजों में पानी डालकर चटनी बना लें। इस चटनी को बार बार रोगी को चाटने के लिए दें।
  • पोदीना की ३० पत्तियां, कालीमिर्च के दाने 3 नग, कालानमक 1 ग्राम, भुनी हुई २ छोटी इलायची, कच्ची अथवा पकी इमली 1 ग्राम इन सबको पानी के साथ पीसकर चटनी-सी बना लें। यह चटनी हैजे के रोगी को चटाने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त तथा प्यास आदि विकार दूर हो जाते हैं।
  • 10-10 मिलीलीटर पोदीने, प्याज और नींबू का रस मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से हैजे के रोग में बहुत लाभ होता है। इससे वमन (उल्टी) भी जल्दी बंद हो जाती है। 
४५.पोदीना, तुलसी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से वायु रोग (वात रोग) दूर होता है और भूख भी बहुत लगती है।

४६.पुदीने को पीसकर प्राप्त रस को 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 1 कप पानी में डालकर पीने से दस्त कम हो जाते हैं.

४७.हरा पोदीना, सूखा धनिया और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर चबायें और लार को नीचे टपकायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

४८.पोदीने को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसे स्त्री को संभोग (सहवास) करने से पहले लगभग 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ पिलाने से स्त्री का गर्भ नहीं ठहरता हैं। ध्यान रहे कि जब गर्भाधान अपेक्षित हो तो इस चूर्ण का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

४९.वमन (उल्टी):
  • ४ पोदीने के पत्ते और २ आम के पत्तों को लेकर 1 कप पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। जब उबलता हुआ पानी आधा बाकी रह जाए तो उस पानी में मिश्री डालकर काढ़े की तरह पीने से उल्टी ठीक हो जाती है।
  • ६ मिलीलीटर पोदीने का रस और लगभग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक मिलाकर पीस लें इसे ताजे पानी में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
  • अगर पेट के खराब होने की वजह से छाती भारी-भारी लग रही हो और बेचैनी के कारण उल्टी हो रही हो तो 1 चम्मच पुदीने के रस को पानी के साथ पिलाने से लाभ होता है।
  • २-२ ग्राम पोदीना, छोटी पीपल और छोटी इलायची को एक साथ मिलाकर खाने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
  • 10 बूंद पुदीने के रस को पानी में मिलाकर उसमें शक्कर डालकर पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
  • पुदीना के पत्तों का शर्बत दिन में कई बार पीने से उल्टी और जी मिचलाना (उबकाई) आदि रोग दूर होते हैं।
  • पोदीने का रस और नींबू के रस को बराबर मात्रा में दिन में 1 चम्मच की मात्रा में ३-४ बार रोगी को पिलाने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
  • पोदीना को नींबू के साथ देने से उल्टी आना बंद हो जाती है। आधा कप पोदीना का रस २-२ घण्टे के अंतराल में पिलाते रहने से लाभ उल्टी, दस्त और हैजा में मिलता है। 
५०.पोदीना और इमली को पीसकर उसमें सेंधानमक या शहद मिलाकर खाने से खट्टी डकारे और उल्टी आना शांत हो जाती है।

५१.अफारा (गैस का बनना):
  • पोदीना के ५ मिलीलीटर रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर सेवन कराने से आध्यमान (अफारा) ठीक हो जाता है।
  • पोदीने का रस ५० मिलीलीटर, मिश्री ५ ग्राम और २ ग्राम यवक्षार मिलाकर खाने से आध्यमान (अफारा, गैस) दूर हो जाता है।
  • पोदीने के पत्तों का शर्बत बनाकर पीने से अफारा में लाभ होता है।
५२.पोदीना का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से आंतों की खराबी और पेट के रोग मिटते हैं। आंतों की बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए पोदीने के ताजे रस का सेवन करना बहुत ही लाभकारी है।

५३.पोदीना और अदरक का रस या काढ़ा पीने से शीतज्वर मिट जाता है। इससे पसीना निकल आता है और हर प्रकार का ज्वर मिट जाता हैं। गैस और जुकाम के रोग में भी यह काढ़ा बहुत लाभ पहुंचाता है।

५४.पोदीना, राम तुलसी (छोटे और हरे पत्तों वाली तुलसी) और श्याम तुलसी (काले पत्तों वाली तुलसी) का रस निकालकर उसमें थोड़ा-सा शक्कर (चीनी) मिलाकर सेवन करने से टायफाइड (मोतीझारा) के रोग में लाभ होता है।

५५.पोदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर हर 1 घंटे के बाद देने से न्युमोनिया (त्रिदोषज्वर-वात, पित्त और कफ) से होने वाले अनेक विकारों (बीमारियों) की रोकथाम करता है और बुखार को समाप्त करता है।

५६.पोदीने के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झांइयां समाप्त हो जाती हैं और चेहरे की चमक बढ जाती है।

५७.दाद:शरीर के किसी भाग में दाद होने पर उस भाग पर पोदीने के रस को 1 दिन में २-३बार दाद पर लगाने से लाभ मिलता है। 

५८.बुखार:
  • पुदीना और तुलसी का काढ़ा बनाकर रोजाना पीने से आने वाला बुखार रुक जाता है।
  • पोदीने और अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें, फिर इसे छानकर दिन में २ बार पीने से बुखार ठीक हो जाता है। प्रतिश्याय (जुकाम) में भी इससे बहुत लाभ होता है।
  • पुदीना के पत्तों और मिश्री को मिलाकर शर्बत बनाकर बार-बार पीने से कफ के साथ-साथ बुखार में आराम मिलता है। 
५९.चेहरे की त्वचा अधिक तैलीय होने पर रोजाना पोदीने का रस रूई के साथ चेहरे पर लगाने से त्वचा का तैलीयपन कम होता है और चेहरे का सौंदर्य भी बढ़ता है।

६०.पुदीने में विटामिन-ई पाया जाता है, जो शरीर की शिथिलता (कमजोरी) और वृद्धावस्था (बुढ़ापे) को आने से रोकता है। इसके सेवन करने से नसे भी मजबूत होती हैं।

६१.पुदीना चबाकर खाने से दांतों के बीच छिपे भोजन के कण दूर होते हैं और मुंह की सफाई भी हो जाती है।

Treatment of kidney stones Ayurveda

गुर्दे की पथरी की चिकित्सा"


आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है।गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।

गुर्दे की पथरी के कारण

किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।

तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।

किसी प्रकार से पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो,इसके कई रूप होते है,कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है,पथरी की शंका होने पर किसी प्रकार से इसको जरूर चैक करवा लेना चाहिये.

गुर्दे की पथरी के लक्षण

पीठ के निचले हिस्से में अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि क्षेत्र तक जाता है। दर्द फैल सकता है या बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भीहो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं ; बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना। गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।

गुर्दे की पथरी के प्रकार

सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों मेंकिस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।

बचाव के कुछ उपाय

1. पर्याप्त जल पीयें ताकि 2 से 2.5 लीटर मूत्र रोज बने।पथरी के मरीज को दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी पीना चाहिये। अधिक मात्रा में मुत्र बनने पर छोटी पथरी मुत्र के साथ निकल जाती है।

2. आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

3. ऐसे पदार्थ न लिये जांय जिनमें आक्जेलेट्‌ की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि

4. कोका कोला एवं इसी तरह के अन्य पेय से बचें।

5. विटामिन - सी की भारी मात्रा न ली जाय।

6. नारंगी आदि का रस (ज्यूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

पथरी में ये खाएं: 
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।

ये न खाएं:
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें। जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।बैगन,फूलगोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।

पथरी का घरेलू इलाज-

1. जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।

2. कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।

3. गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।

4. इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।

5. पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।

6. जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

7. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|

8. प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

9. पहाडी कुल्थी और शिलाजीत दोनो एक एक ग्राम को दूध के साथ सेवन करने पथरी निकल जाती है

10. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें,फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फ़ायदा मिलेगा।

11. सूखे आंवले को नमक की तरह से पीस लें,उसे मूली पर लगाकर चबा चबा कर खायें,सात दिन के अन्दर पथरी पेशाब के रास्ते निकल जायेगी,सुबह खाली पेट सेवन करने से और भी फ़ायदा होता है।

12. तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

13. पखानबेद नाम का एक पौधा होता है! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म!! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती

14. बथुआ को पानी में उबालकर इसके रस में नींबू, नमक व जीरा मिलाकर नियमित पीने से पेशाब में जलन, पेशाब के समय दर्द तथा पथरी दूर होती है।

16. पथरी से बचाव के लिये रातभर मक्के के बाल (सिल्क) को पानी में भिगाकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढे का प्रयोग होता है।

17. आम के ताजा पत्ते छाया में सुखाकर, बारीक पीस कर आठ ग्राम मात्रा पानी मे मिलाकर प्रात: काल प्रतिदिन लेने से पथरी समाप्त हो सकती है।

18. दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है।



19. कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। २० ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें।एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।


           कुल्थी का पानी बनाने की विधि: किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।

20. स्टूल पर चढकर १५-२० बार फ़र्श पर कूदें। पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। निर्बल व्यक्ति यह प्रयोग न करें।

21. दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना कम होती है।

22. गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।

23. गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है

24. पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को उत्पन्न होने से रोकते हैं .

25. 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

26. पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
27. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

28. मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

29.तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली-पतली लम्बी-लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंड़ी ड़ाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंड़ी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंड़ी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर-अन्दर पी लें। इससे किड़नी की पथरी से छुटकारा मिलता है।

30. महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी होतो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।

31. पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बाद ले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवन से लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए

लिथोट्रिप्सी तकनीक 

पहले पथरी हो जाने पर बड़ा ऑपरेशन ही उसका अंतिम उपाय होता था, लेकिन अब नई तकनीक लिथोट्रिप्सी आ गई है। इससे पथरी का इलाज आसानी से किया जा सकता है । लिथोट्रिप्सी तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं , रायपुर स्टोन क्लीनिक के सर्जन डॉ. कमलेश अग्रवाल ।

क्या है लिथोट्रिप्सी तकनीक ?
लिथोट्रिप्सी चिकित्सा जगत की आधुनिक तकनीकों में से एक है गुर्दे की पथरी के इलाज में इसका उपयोग किय जाता है । लिथोट्रिप्सी दो शब्दों से मिलकर बना है । लिथो का अर्थ है स्टोन या पथरी और ट्रिप्सी का अर्थ है तोड़ना । लिथोट्रिप्सी बिना शल्य क्रिया के पथरी को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ो के रुप में शरीर से बाहर निकालने की आसान व सुरक्षित विधि है ।


प्रकिया 
लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गुर्दे, मूत्राशय एवं मूत्रनली में स्थित किसी भी आकार की पथरी को चूरा करके बहुत आसानी से कम समय में निकाला जाता है । लिथोट्रिप्सर नामक मशीन द्वारा ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके उस स्थान पर प्रेषित की जाती है , जहाँ पर पथरी होती हैं । ये ध्वनि तरंगें अल्ट्रा साउंड में प्रयुक्त ध्वनि तरंगों की तरह होती है । इन तरंगों द्वारा पथरी को तोड़कर रेत के समान बारीक कणों में बदल दिया जाता है । ये कण पेशाब के साथ आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं ।

इलाज के पूर्व परीक्षण 
लिथोट्रिप्सी के इलाज से पूर्व सामान्य परीक्षण किये जाते हैं। यह एक आउटडोर प्रक्रिया है। इसमें मरीज को भर्ती होने की जरुरत नहीं होती। पूरी प्रक्रिया में करीब 30 से 40 मिनट तक का औसत समय लगता है। 

तकनीक के फ़ायदे
लिथोट्रिप्सी द्वारा किसी भी आयु के मरीज का उपचार पूर्णतया सुरक्षित ढंग से किया जा सकता है ।
इसमें किसी तरह की शारीरिक-मानसिक परेशानी नहीं होती।
हृदयरोग, तपेदिक, उच्च रक्तचाप,मधुमेह,अस्थमा अथवा किसी क्रानिक बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए ये विधि उपयुक्त मानी जाती है , क्योंकि ऎसे मरीजों में शल्यक्रिया तुरंत करना संभव नहीं होता है ।
इस तकनीक में मरीज को रक्त की जरुरत नहीं होती,इसलिए किसी अन्य रोग के संक्रमण का खतरा नहीं रहता ।
शरीर में कहीं चीर-फाड़ नहीं की जाती, इस कारण कटनें का निशान नहीं पड़ता ।
लिथोट्रिप्सी मशीन से पित्तनली एवं पेनक्रियाण ग्रंथी का उपचार भी संभव है।

यह उपचार काफी सामान्य है और पूरी प्रक्रिया में कोई दवा अथवा दर्द निवारक इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया जाता ।

सहायक उपचार- हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।स्टोनिल कैप्सूल( हकीम हाशमी )एक 100% हर्बल जड़ी बूटी युक्त उपाय अपने को पूरी मूत्र प्रणाली के लिए एक टॉनिक के रूप में दोनों स्वस्थ और रोगग्रस्त गुर्दे के कामकाज और कार्य में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. यह हर्बल कैप्सूल गुर्दे में पत्थर गठन के एक आम स्वास्थ्य विकार, जो दुनिया में लोगों की काफी संख्या को प्रभावित करता है. उसका उपचार में सहायता करता है यह मुख्य रूप से कैल्शियम का संचय, फॉस्फेट, और गुर्दे में oxalate जो क्रिस्टल या पत्थर को निश्चित रूप से निकल बहार करता है .

आपको गुर्दे की पथरी जिन्हें बार-बार हो रही है उन्हें खान-पान में परहेज बरतना चाहिए, ताकि समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही एक स्वस्थ व्यक्ति को तो प्रतिदिन 3-5 लीटर पानी पीना चाहिए| यदि किसी को एक बार पथरी की समस्या हुई, तो उन्हें यह समस्या बार-बार हो सकती है। अतः खानपान पर ध्यान रखकर पथरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है।

होमियोपैथिक चिकित्सा : 

BERBERIS VULGARIS: इस होमियोपैथिक दवा  का मदर टिंचर  पेशाब के  पथरी में  बहुत उपयोगी  हैं।  इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है। चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है। 
CHINA 1000: दुबारा पथरी न हो इसके लिए चाइना १००० कि शक्ति में केवल एक दिन तीन समय में खायें और पथरी से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं। 
CANTHARIS 6 : यदि पेशाब की  पेशाब में जल जाने जैसा जलन,वेग, कुथन इत्यादि रहे तो कैन्थेरिस से लाभ होगा। यह मूत्र पथरी की बहुमूल्य दवा  है। 
SARSAPARILLA: इसमें पेशाब जल्दी जल्दी लगता है  और थोडा थोडा होता है। पेशाब के साथ छोटी छोटी पथरी निकलती हैं, गुर्दे में दर्द रहता है। 
HEDEOMA: पेशाब में लाल रंग के बालू के कण कि तरह का पदार्थ निकलता है,यूरेटर में दर्द रहता है। 
इनके अलावा पैरीरा ब्रावा,ट्रिबिंथना,युवा उर्सी,लाइकोपोडियम आदि दवायें लक्षणानुसार उपयोगी हैं। 
नोट:-कोई भी नुस्खा ड़ाक्टर की सलाह से अपनाना चाहिए।

The benefits from melons

खरबूजा गर्मी के मौसम में आने वाला एक ऐसा फल है, जिसका स्वाद और सुगंध दोनों अपने आप में अलग ही होती है। यह सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी के साथ विटामिन और मिनरल्स भी पाए जाते हैं।
गर्मी के इस मौसम में अपने शरीर से पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन एक बेहतर विकल्प है। यह एक्जिमा में भी बहुत लाभकारी होता है। इसके बीज में प्रोटीन और तेल काफी मात्रा में होता है।
पुरानी खाज में खरबूजे का रस लाभदायक है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। खरबूजे के सेवन से पेट की जलन शांत होती है। खरबूजे से कब्ज व एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है। चलिए, आज जानते हैं गर्मी में खरबूजा खाने से होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में...

त्वचा को बनाएं जवान- खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी व विटामिन ए पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से त्वचा जवां बनी रहती है।
कैंसर से बचाता है-
खरबूजे में आर्गेनिक पिगमेंट केरोटीनाइड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाने के साथ ही किसी भी तरह के कैंसर की संभावना को भी कम कर देता है।
दिल को सुरक्षित रखता है-
खरबूजे में एडेनोसीन नामक एंटीकोएगुलेंट पाया जाता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और खून का थक्का नहीं जमने देता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से दिल से संबंधित बीमारियां दूर ही रहती हैं।
पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है-
खरबूजा कब्ज की समस्या दूर करता है। अगर आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो खरबूजा खाइए। खरबूजे में मौजूद पानी की मात्रा भोजन के पाचन में सहायक होती है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर कर पाचन प्रक्रिया दुरुस्त कर देते हैं।
चेहरा चमकने लगता है-
स्किन में कनेक्टिव टिशू पाए जाते हैं। खरबूजे में पाया जाने वाले कोलाजन प्रोटीन इन कनेक्टिव टिशू में कोशिका की संरचना को बनाए रखता है। कोलाजन से जख्म भी जल्दी ठीक होते हैं और त्वचा को मजबूती मिलती है। अगर आप लगातार खरबूजा खाएंगे तो चेहरा चमकने लगेगा।
किडनी को स्वस्थ बनाए रखता है-
खूरबूजे में डाइयुरेटिक (मूत्रवर्धक) क्षमता काफी अच्छी होती है। इस कारण इससे किडनी की बीमारियां ठीक होती हैं और यह एक्जिमा को कम करता है। अगर खरबूजे में नींबू मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो इससे गठिया की बीमारी भी ठीक हो सकती है।
ऊर्जा को बढ़ाता है-
खरबूजे में विटामिन बी पाया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। शुगर और कार्बोहाइड्रेट को संसाधित करने में यह ऊर्जा शरीर के लिए आवश्यक होती है।
वजन कम करने में होता है मददगार
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें गर्मी में रोज खरबूजे का सेवन करना चाहिए। इसमें काफी कम मात्रा में सोडियम पाया जाता है। साथ ही, यह फैट और कोलेस्ट्रोल से भी मुक्त होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। एक कप खरबूजे में सिर्फ 48 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसीलिए यह बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में काफी मददगार होता है।
आंखों को स्वस्थ बनाता है-
खरबूजे में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। साथ ही, इसमें बीटा-केरोटीन भी पाया जाता है। इसीलिए इसके नियमित सेवन से आंखें स्वस्थ रहती हैं और आंखों से जुड़ा कोई रोग परेशान नहीं करता है।
तनाव से मुक्ति दिलाता है-
खरबूजे में काफी मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता है। पोटेशियम दिल को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है।
डायबिटीज में भी है फायदेमंद-
डायबिटीज के रोगियों के लिए खरबूजा बहुत फायदेमंद होता है। माना जाता है कि जो डायबिटीज रोगी गर्मी में रोज एक गिलास खरबूजे का जूस लेते हैं, उनका कोलेस्ट्राल हमेशा कंट्रोल में रहता है।