कावासाकी सिंड्रोम के कारण व लक्षण
Causes (कारण): कावासाकी सिंड्रोम के पूर्व अक्सर किसी वायरल इन्फेक्शन का इतिहास रोगी में देखने को मिलता है, जो की इस व्याधि के उत्पादक कारकों में से एक हो सकता है. हालांकि यह एकautoimmune disease है जिसके उत्पादक कारणों का अभी पूर्ण रूप से पता नहीं चल सका है.
लक्षण :
- नेत्रशोथ (conjunctivitis)
- जिहवा का सुर्ख लाल हो जाना; इस अवस्था को स्ट्रॉबेरी टंग (strawberry tongue)कहते हैं, जो इस रोग का सबसे महत्वपूर्ण चिहन है.
- होठों पर सूजन, दरारें, कभी कभी रक्तस्राव
- गुह्य भागों पर लालिमा, शोथ
- हाथ व पैर के तलवों पर कालापन व सूजन
- हाथ की चमड़ी निकलना
- बी सी जी के टीका स्थल पर लाल होना व सुन्नपन
- गुदा की चमड़ी निकलना व सूजन
रोग की प्रारंभिक अवस्था में तीव्र ज्वर देखने को मिलता है जो किसी भी ज्वरहर औषधि से कम नहीं होता है परन्तु IgG I.V. route से देने से २ दिनों में ज्वर उतर जाता है.
कावासाकी सिंड्रोम की प्रारंभिक अवस्था में ही यदि पहचान कर तुरंत इलाज़ शुरू कर दिया जाये तो रोगी जल्दी ठीक होता है एवं कोरोनरी anerysm का जोखिम कम हो जाता है. हालांकि चिकित्सा न करने पर यह स्वयं भी ठीक हो सकती है परन्तु ह्रदय व अन्य अंगो को नुक्सान पहुँचने के कारण यह म्रत्यु का कारण बनती है.
आयुर्वेदिक चिकित्सा : लक्षणों के आधर पर यह पितत प्रधान सननिपतज ज्वर प्रतीत होता है. यहाँ पित्तशामक उपचार जैसे षडंगपानीय का उपयोग किया जा सकता है.
चूंकि यह एक autoimmune disease है अतः गिलोय सत्व या क्वाथ अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा, गिलोय ना केवल पित्त शमन करेगा वरन जवर नाशक प्रभाव होने से जवर को भी कम करेगा, साथ ही Immunomodulator होने से यह प्राकृतिक तौर से शरीर को antibodies बनाने को प्रेरित करेगा.
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