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Wednesday, February 25, 2015

कढ़ी पत्ता

कढ़ी पत्ता
कढ़ी पत्ते में ढेरों औषधीय गुण होते हैं। भारतीय भोजन में इसका प्रयोग सदियों से होता आ रहा है। आमतौर पर सुगंध और सजावट के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कढ़ी में छौंक लगाने और दाल को स्वादिष्ट बनाने में इनका विशेषकर उपयोग किया जाता है। लेकिन दक्षिण भारतीय आहार जैसे सांभर और रसम में इनका उपयोग बहुत अधिक होता है, फिर भी इस मसाले में स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ कई औषधीय गुण भी हैं। कढ़ी पत्ते में आयरन, जिंक, कॉपर, कैल्शियम, विटामिन 'ए' और 'बी', अमीनो एसिड, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फोलिक एसिड आदि पाये जाते है। इस तरह से कढ़ी पत्ता पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। आइए इसके कुछ और आश्‍चर्यजनक उपयोगों के बारे में जानते हैं।

Wednesday, February 18, 2015

heart attack and cholesterol ayurvedic treatment

महत्वपूर्ण समाचारः- अवश्य पढें
ये याद रखिये की भारत मैं सबसे ज्यादा मौते
कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट अटैक से होती हैं।
आप खुद अपने ही घर मैं ऐसे बहुत से लोगो को जानते होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे।
अमेरिका की कईं बड़ी बड़ी कंपनिया भारत मैं दिल के रोगियों (heart patients) को अरबों की दवाई बेच रही हैं !
लेकिन अगर आपको कोई तकलीफ हुई तो डॉक्टर कहेगा angioplasty (एन्जीओप्लास्टी) करवाओ।
इस ऑपरेशन मे डॉक्टर दिल की नली में एक spring डालते हैं जिसे stent कहते हैं।
यह stent अमेरिका में बनता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डॉलर (रू.150-180) है।
इसी stent को भारत मे लाकर 3-5 लाख रूपए मे बेचा जाता है व आपको लूटा जाता है।
डॉक्टरों को लाखों रूपए का commission मिलता है इसलिए व आपसे बार बार कहता है कि angioplasty करवाओ।
Cholestrol, BP ya heart attack आने की मुख्य वजह है, Angioplasty ऑपरेशन।
यह कभी किसी का सफल नहीं होता।
क्यूँकी डॉक्टर, जो spring दिल की नली मे डालता है वह बिलकुल pen की spring की तरह होती है।
कुछ ही महीनो में उस spring की दोनों साइडों पर आगे व पीछे blockage (cholestrol व fat) जमा होना शुरू हो जाता है।
इसके बाद फिर आता है दूसरा heart attack ( हार्ट अटैक )
डॉक्टर कहता हें फिर से angioplasty करवाओ।
आपके लाखो रूपए लुटता है और आपकी जिंदगी इसी में निकल जाती हैं।
अब पढ़िए उसका आयुर्वेदिक इलाज।
...
अदरक (ginger juice) - यह खून को पतला करता है।
यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।
लहसुन (garlic juice) - इसमें मौजूद allicin तत्व cholesterol व BP को कम करता है।
वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।
नींबू (lemon juice) - इसमें मौजूद antioxidants, vitamin C व potassium खून को साफ़ करते हैं।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाते हैं।
एप्पल साइडर सिरका ( apple cider vinegar) -
इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।
इन देशी दवाओं को इस तरह उपयोग में लेवें :-
एक कप नींबू का रस लें;
एक कप अदरक का रस लें;
एक कप लहसुन का रस लें;
एक कप एप्पल का सिरका लें;
चारों को मिला कर धीमीं आंच पर गरम करें जब 3 कप रह जाए तो उसे ठण्डा कर लें;
उसमें 3 कप शहद मिला लें
रोज इस दवा के 3 चम्मच सुबह खाली पेट लें जिससे
सारी ब्लॉकेज खत्म हो जाएंगी।
आप सभी से हाथ जोड़ कर विनती है कि इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें ताकि सभी इस दवा से अपना इलाज कर सकें ; धन्यवाद् !
जरा सोचिये की शाम के
7:25 बजे है और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले।
ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके
जबड़ो तक पहुँच जाता है।
आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर है और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ आ रहा की आप वहांतक पहुँच पाएंगे की नहीं।
आप सीपीआर में प्रशिक्षित है मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया की इसको खुद पर प्रयोग कैसे करे।
ऐसे में दिल के दौरे से बचने
के लिए ये उपाय आजमाए ;-
चूँकि ज्यादातर लोग दिल के
दौरे के वक्त अकेले होते है
बिना किसी की मदद के
उन्हें सांस लेने में तकलीफ
होती है । वे बेहोश होने लगते
है और उनके पास सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है ।
ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है। एक जोर की सांस
लेनी चाहिए हर खांसी से पहले
और खांसी इतनी तेज हो की
छाती से थूक निकले।
जब तक मदद न आये ये
प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई
जाए ताकि धड्कण सामान्य
हो जाए ।
जोर की साँसे फेफड़ो में
ऑक्सीजन पैदा करती है
और जोर की खांसी की वजह
से दिल सिकुड़ता है जिस से
रक्त सञ्चालन नियमित रूप से
चलता है ।।।।।
जहाँ तक ही सके इस सन्देश को हरेक
तक पहुंचाए ।
आप सबसे निवेदन है की यह
सन्देश सबको भेजे ताकि लोगो
की जान बच सके ।
अगर आपको यह सन्देश बार बार मिले तो परेशान होनेकी
बजाय आपको खुश होना
चाहिए की आपको यह बताने
वाले बहुत जन है की दिल के दौरे से कैसे बचा जाये।
धन्यवाद...
सोजन्य से - चेयरमैन, प्रतिनिधि समाज सेवा संस्थान

Thursday, February 12, 2015

Desert Rajasthan Tour Holiday Packages India


क्या आप लोगो में से हो जो भारत में आध्यात्मिक शांति और Marvels यानि प्राकर्तिक चमत्कार का पता लगाना चाहते है ? क्या आप भारत में सुन्दर और बेहतर जगह (Destination) खोज रहे हो ? नार्थ इंडिया टूरिज्म Travelers के लिए बहुत पसंदीदा जगह है और इसे Rich Culture and Heritage की धरती कहा जाता है | उत्तरी भारत में लुभावनी स्थानों के साथ साथ प्राकृतिक सुंदरता, अदितीय भूगोल, शानदार वन्य जीवन और अद्भुत मौसम के साथ ही प्रमुख है | यही कारण है कि इंडिया ट्रेवल Packages में नार्थ इंडिया को प्रमुख स्थान मिला हुआ है | नार्थ इंडिया Tours को अलग अलग श्रेणी ( आध्यात्मिक टूर, कल्चरल टूर, वाइल्डलाइफ टूर, एडवेंचर टूर ) में रख सकते है |
जब हम नार्थ इंडिया की बात करते है तो यहाँ की ऐतिहासिक महत्व भी अलग है | तीर्थयात्रियों के लिए ऐतिहासिक रूप से वाराणसी, वैष्णो देवी, चार धाम, कुशीनगर, चिस्ती दरगाह, पुष्कर और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की भरमार है | Majestic Forts, बर्फ से ढकी पहाड़, Meadowed हरियाली, धार्मिक जगह , हिल स्टेशन और ऐतिहासिक इमारतों यात्रिओ का जगह जगह स्वागत करती नगर आती है | भारत में यात्रा करने के लिए असंख्य जगह हैं जैसे : -
राजस्थान: एक्सप्लोरिंग रॉयल राजस्थान टूरिस्ट के लिए सपना होता है | राजाओं के राज्य होने के कारण यह जगह शाही और मनमोहक लगती है | राजस्थान महत्वपूर्ण शहरों उदयपुर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, मंडावा, बीकानेर ( Udaipur, Jaipur, Jaisalmer, Jodhpur, Mandawa, Bikaner ) आदि को घूम सकते हो | इस नॉर्थर्न स्टेट में टूरिस्ट झीलों, स्मारकों, किलों, मंदिरों, हाथी सफारी, ऊंट सफारी और पारंपरिक राजस्थानी भोजन और संगीत का आनंद लेने आते है |
Desert Rajasthan Tour Holiday Packages India
10 DAYS/ 9 NIGHT
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Monday, February 9, 2015

eye ayurveda natural remedies

आँखों_के_रोग‬


आँखों_के_रोग‬ नेत्रज्योति बढ़ाने के लिएः

1. इन्द्रवरणा (बड़ी इन्द्रफला) के फल को काटकर अंदर से बीज निकाल दें। इन्द्रवरणा की फाँक को रात्रि में सोते समय लेटकर (उतान) ललाट पर बाँध दें। आँख में उसका पानी न जाये,यह सावधानी रखें। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।
2. त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर,सुबह छानकर उस पानी से आँखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
3. जलनेति करने से नेत्रज्योति बढ़ती है। इससे आँख,नाक,कान के समस्त रोग मिट जाते हैं।
‪‎रतौंधीअर्थात्‬ रात को न दिखना (Night Blindness)-
1. बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूँद आँखों में आँजने से रतौंधी रोग में आराम होता है।
2.श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूँद रस 14 दिन तक आँखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आँखों का पीलापन भी मिटता है।
3. 1 से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आँजने से रतौंधी में फायदा होता है।
4. जीरा,आँवला एवं कपास के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पीसकर सिर पर 21 दिन तक पट्टी बाँधने से रतौंधी में लाभ होता है।
आँखों_का_पीलापन‬ ः
रात्रि में सोते समय अरण्डी का तेल या शहद आँखों में डालने से आँखों की सफेदी बढ़ती है।
आँखों_की_लालिमा‬ ः
1. आँवले के पानी से आँखें धोने से या गुलाबजल डालने से लाभ होता है।
2. जामफल के पत्तों की पुल्टिस बनाकर (20-25 पत्तों को पीसकर,टिकिया जैसी बनाकर,कपड़े में बाँधकर) रात्रि में सोते समय आँख पर बाँधने से आँखों का दर्द मिटता है,सूजन और वेदना दूर होती है।
3. हल्दी की डली को तुअर की दाल में उबालकर,छाया में सुखाकर,पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व दिन में दो बार आँख में आँजने से आँखों की लालिमा,झामर एवं फूली में लाभ होता है।
आँखों_का_कालापन‬ ः
आँखों के नीचे के काले हिस्से पर सरसों के तेल की मालिश करने से तथा सूखे आँवले एवं मिश्री का चूर्ण समान मात्रा में 1 से 5 ग्राम तक सुबह-शाम पानी के साथ लेने से आँखों के पास के काले दाग दूर होते हैं।
आँखों_की_गर्मीया‬ आँख आने परः
नींबू एवं गुलाबजल का समान मात्रा का मिश्रण एक-एक घण्टे के अंतर से आँखों में डालने से एवं हल्का-हल्का सेंक करते रहने से एक दिन में ही आयी हुई आँखें ठीक होती हैं।
आँख की अंजनी (मुहेरी या बिलनी)
हल्दी एवं लौंग को पानी में घिसकर गर्म करके अथवा चने की दाल को पीसकर पलकों पर लगाने से तीन दिन में ही गुहेरी मिट जाती है।
आँख_में_कचरा_जा‬ ने_पर
1. सौ ग्राम पानी में एक नींबू का रस डालकर आँखे धोने से कचरा निकल जाता है।
2. आँख में चूना जाने पर घी अथवा दही का तोर (पानी) आँजें।
‪‎आँख_दुखने_पर‬
गर्मी की वजह से आँखें दुखती हो तो लौकी को कद्दूकस करके उसकी पट्टी बाँधने से लाभ होता है।
आँखों_से_पानी_ब हने_पर
1. आँखें बन्द करके बंद पलको पर नीम के पत्तों की लुगदी रखने से लाभ होता है। इससे आँखों का तेज भी बढ़ता है।
2. रोज जलनेति करें। 15 दिन तक केवल उबले हुए मूँग ही खायें। त्रिफला गुगल की 3-3 गोली दिन में तीन बार चबा-चबाकर खायें तथा रात्रि को सोते समय त्रिफला की तीन गोली गर्म पानी के साथ सेवन करें। बोरिक पावडर के पानी से आँखें धोयें इससे लाभ होता है।
मोतियाबिंद‬(Cataract)एवं झामर
1. पलाश (टेसू) का अर्क आँखों में डालने से नये मोतियाबिंद में लाभ होता है। इससे झामर में भी लाभ होता है।
2. गुलाबजल में विषखपरा (पुनर्नवा) घिसकर आँजने से झामर में लाभ होता है।
 चश्मा_उतारने_के _लिए
1. छः से आठ माह तक नियमित जलनेति करने से एवं पाँव के तलवों तथा कनपटी पर गाय का घी घिसने से लाभ होता है।
2. 7 बादाम,5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध के साथ लेने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
3. एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और प्रतिदिन रात्रि को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक घी की मालिश करें। इससे आँखों के चश्मे के नंबर उतारने में सहायता मिलती है तथा मोतियाबिंद में लाभ होता है।

Saturday, February 7, 2015

Piles treatment in hindi

‎Treatment Piles Hindi 
Piles‬ अथवा ‪#‎बवासीर‬ जिसको होता है, उससे पूछिये कि उसका सुबह पाखाना करते समय अथवा उसके बाद उसका क्या हाल होता है ?
यह बहुत ही लापरवाह बीमारी है, जिसके हो जाती है , वह यह रोगी की लापरवाही का फायदा उठाकर बेपरवाह तरीके से बढती है और फिर जिन्दगी भर परेशान करती है /
आधुनिक चिकित्सा विग्यान में इस रोग का कोई सटीक इलाज नही है / अधिक बढ जाने पर आपरेशन कराना ही एक मात्र उपाय बच जाता है , लेकिन खान पान और जीवन शैली में परहेज न करने से यह फिर उसी स्वरूप में हो जाता है जैसा कि आपरेशन कराने के पहले था /
प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी दोनों चिकित्सा विग्यान में इस रोग का अच्छा इलाज है / यदि रोग की प्रारम्भिक अवस्था हो तो इन दोनों चिकित्सा विग्यान की औषधियों का उपयोग करने से रोग का निर्मूलन अथवा रोग शान्ति अवश्य हो जाती है /
रोग के अधिक बढ जाने की अवस्था में प्राकृतिक उपचार के साथ साथ यदि होम्योपैथी की दवायें सेवन करता रहे तो बवासीर का रोग काबू में आ जाता है / लेकिन इसके लिये अपने नजदीक के किसी अधिक expert qualified physician के पास जाकर अथवा प्राकृतिक चिकित्सालय में रहकर इलाज कुछ दिन तक कराना चाहिये / बाद में जीवन शैली को लम्बे समय तक अपनाना चाहिये /
आयुर्वेद चिकित्सा विग्यान में बवासीर रोग के इलाज के लिये हजारों योग और औषधियां और पन्चकर्म की विधियां दी गयी हैं , जिनके द्वारा रोगी का इलाज करके उसे आरोग्य प्रदान किया जा सकता है / किसी किसी को सम्पूर्ण ९९.९९ प्रतिशत और किसी को ९५ प्रतिशत तक आरोग्य प्राप्त हो जाता है, लेकिन सभी रोगी ठीक हो जाते है / यहां भी वही बात दोहराना चाहून्गा कि यह सब कुछ expert qualified Ayurvedic Physician की काबीलियत पर आधारित होता है कि इलाज करने वाला वैद्य कितना निपुण है /
मै यहां सामान्य और विशेष दोनों प्रकार की बवासीर के लिये tips और दवायें बता रहा हूं, जिनके उपयोग से बवासीर की चाहे जैसी तकलीफ हो अवश्य ठीक हो जाती है /
१- पहला प्रयोग “स्वमूत्र चिकित्सा” से सम्बन्धित है / रोजाना सुबह सबेरे उठकर पहले अपने पेशाब / मूत्र को किसी शीशे के बर्तन या प्लास्टिक के बर्तन मे इकठ्ठा करके सन्चित कर लें / जितना अधिक मात्रा में मूत्र का सन्चय कर लेन्गे उतना ही ठीक होगा / इसके लिये चाहे आपको सुबह काफी मात्रा में अतिरिक्त सादा पानी क्यों न पीना पडे, क्योंकि जब आप अतिरिक्त पानी पियेन्गे तो पेशाब भी ज्यादा होगी / आपको जब पाखाना की हाजत लगे तब पाखाना कर लें , लेकिन गुदा ANUS / RECTUM को सादे पानी से धोने की बजाय आप इसी एकत्र किये गये मूत्र से गुदा को धो डालिये / मूत्र से गुदा को धोने के बाद , गुदा को सादे पानी से मत धोइयेगा / अगर धोने का या साफ करने का मन करे तो एक या दो घन्टे बाद सादे पानी से गुदा को धो डालिये / वैसे सबसे अच्छा है , इसे न धोयें / इससे बवासीर बहुत शीघ्रता से ठीक होती है और इस प्रयोग से असाध्य से असाध्य बवासीर ठीक हो चुकी हैं /
२- आयुर्वेद की औषधि “अर्श कुठार रस” की दो गोली सुबह और शाम मठे के साथ अथवा दही की पतली नमकीन लस्सी के साथ रोजाना १२० दिन तक ले अथवा सेवन करें /
३- भोजन के बाद आयुर्वेद की शास्त्रोक्त दवा ” अभयारिष्ट” और “रोहितिकारिष्ट” चार चम्म्च लेकर इसके बराबर चार चम्मच सादा पानी मिलाकर lunch और dinner के बाद दोनों समय सेवन करें /
भोजन में परहेज करें / परहेज के लिये अपने नजदीक के किसी आयुर्वेद के चिकित्सक से सम्पर्क करें क्योंकि वही आपको सही सही बता सकता है कि आपको क्या खाना चाहिये और क्या नहीं ?
ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन आधारित आयुर्वेद चिकित्सा करने से बवासीर के रोगी अवश्य ठीक होते हैं , चाहे उनकी कैसी भी स्तिथि हो / आधुनिक मशीन और विकसित किये गये ई०टी०जी० आयुर्वेदस्कैन साफ्ट्वेयर की मदद से अब ई०टी०जी० आयुर्वेदस्कैन की रिपोर्ट १५ मिनट के अन्दर बन कर मरीज को दे दी जाती है /

Saturday, December 20, 2014

उड़द दाल - के लाभकारी गुण

उड़द दाल" के लाभकारी गुण :- उड़द का नियमपूर्वक सेवन 
तीन माह करने से नवयौवन मिलता है, यदि यौवन है, तो वह 
और निखरता है। घरेलू नुस्खे .
हमेशा याद रखें:........ 
उड़द की दाल: - - इसे दालों की महारानी कहा जाता है.

उड़द दाल सफेद और काली होती है और यह साउथ एशिया में सबसे ज्‍यादा पैदा होती है।
G1- उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है, - छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण तो खूब पाए जाते हैं और कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है।उड़द की दाल में प्रोटीन, विटामिन बी थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन, विटामिन सी, आयरन, कैल्‍शियम, घुलनशील रेशा और स्‍टार्च पाया जाता है। उड़द वीर्य वर्द्धक, हृदय को हितकारी है। उड़द की दाल अन्य प्रकार की दालों में अधिक बल देने वाली व पोषक होती है। गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी होती है। आइये जानते हैं कि उड़द दाल हमारे स्‍वास्‍थ्‍य को किस तरह से लाभ पहुंचाती है।
G2- धुली हुई दाल प्रायः पेट में अफारा कर देती है। छिलकों वाली दाल में यह दुर्गुण नहीं होता।
G3- गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी होती है।
G4- सप्ताह में तीन दिन भोजन में उड़द की छिलके वाली दाल का सेवन किया जाए, तो यह शरीर को बहुत लाभ करती है। यदि इसमें नींबू मिलाकर खाएँ तो इसका स्वाद बढ़ जाता है और पाचन भी सरल हो जाता है।
G5- यदि रोगी की जठराग्नि मंद हो तो उड़द का पाक या उड़द के लड्डू बनाकर सेवन कराते हैं। उड़द की दाल को पिसवाकर उसमें सभी प्रकार के मेवे मिलाकर लड्डू बनाते हैं, ये लड्डू अत्यंत शक्ति वर्द्धक होते हैं। इस लड्डू का सेवन निर्बल, कमजोर तथा व्यायाम करने वाले भी करते हैं। इन लड्डुओं का सेवन सिर्फ शीत ऋतु में ही किया जाना चाहिए। शीत ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल होती है, इसलिए शीत ऋतु उत्तम मानी गई है।
G6- इसमें कैल्सियम, पोटेशियम, लौह तत्व, मैग्नेशियम, मैंगनीज जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते है और इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों में उपयोग में लाया जाता है।
G7- छिलकों वाली उडद की दाल को एक सूती कपडे में लपेट कर तवे पर गर्म किया जाए और जोड दर्द से परेशान व्यक्ति के दर्द वाले हिस्सों पर सेंकाई की जाए तो दर्द में तेजी से आराम मिलता है। काली उडद को खाने के तेल में गर्म करते है और उस तेल से दर्द वाले हिस्सों की मालिश की जाती है। जिससे दर्द में तेजी से आराम मिलता है।
G8- इसी तेल को लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को लकवे वाले शारीरिक अंगों में मालिश करनी चाहिए, फायदा होता है।
G9- दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करे तो यह वजन बढाने में मदद करती है। अपनी दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करने वाले लोग अक्सर वजन में तेजी से इजाफा होता हैं।
G10- फोडे फुन्सियों, घाव और पके हुए जख्मों पर उड़द के आटे की पट्टी बांधकर रखने से आराम मिलता है। दिन में 3-4 बार ऐसा करने से आराम मिल जाता है।
G11- डांग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार गंजेपन दूर करने के लिए उड़द दाल एक अच्छा उपाय है।दाल को उबालकर पीस लिया जाए और इसका लेप रात सोने के समय सिर पर कर लिया जाए तो गंजापन धीरे-धीरे दूर होने लगता है और नए बालों के आने की शुरुआत हो जाती है।
G12- उड़द के आटे की लोई तैयार करके दागयुक्त त्वचा पर लगाया जाए और फ़िर नहा लिया जाए तो ल्युकोडर्मा (सफ़ेद दाग) जैसी समस्या में भी आराम मिलता है।
G13- जिन्हें अपचन की शिकायत हो या बवासीर जैसी समस्याएं हो, उन्हें उडद की दाल का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से मल त्याग आसानी से होता है।
G14- उड़द की बिना छिलके की दाल को रात को दूध में भिगो दिया जाए और सुबह इसे बारीक पीस लिया जाए। इसमें कुछ बूंदें नींबू के रस और शहद की डालकर चेहरे पर लेप किया जाए तो एक घंटे बाद इसे धो लिया जाए। ऐसा लगातार कुछ दिनों तक करने से चेहरे के मुहांसे और दाग दूर हो जाते है और चेहरे में नई चमक आ जाती है।
G15- इसमें बहुत सारा आयरन होता है, जिसे खाने से शरीर को बल मिलता है। इसमें रेड मीट के मुकाबले कई गुना आयरन होता है ।
G16- जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है, वे यदि इसका सेवन करें, तो उनके शरीर में रक्त, मांस, मज्जा की वृद्धि होती है। इसमें बहुत सारे घुलनशील रेशे होते हैं जो कि पचने में आसान होते हैं।
G17- हृदय स्वास्थ्य- कोलेस्ट्रॉल घटाने के अलावा भी काली उड़द स्वास्थ्य वर्धक होती है। यह मैगनीशियम और फोलेट लेवल को बढा कर धमनियों को ब्लॉक होने से बचाती है। मैगनीशियम, दिल का स्वास्थ्य बढाती है क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन को बढावा देती है।
G18- 20 से 50 ग्राम उड़द की दाल छिलके वाली रात को पानी में भिगो दें, सुबह इसका छिलका निकालकर बारीक पीस लें। इस पेस्ट को इतने ही घी में हलकी आँच पर लाल होने तक भूनें, फिर उसमें 250 ग्राम दूध डालकर खीर जैसा बना लें, इसमें स्वाद के अनुसार थोड़ी सी मिश्री मिलाकर इसका सुबह खाली पेट सेवन करें।
इससे शरीर ,दिल और दिमाग की शक्ति बढती है.
एक सप्ताह तक इसका सेवन करने से पुराने से पुराना मूत्र रोग ठीक हो जाता है।
यदि युवतियाँ इस खीर का सेवन करें तो उनका रूप निखरता है।
स्तनपान कराने वाली युवतियों के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
यदि गर्भाशय में कोई विकार है तो दूर होता है।
पुरुष हो या स्त्री, उड़द के लड्डू या खीर का नियमपूर्वक सेवन तीन माह करने से नवयौवन मिलता है, यदि यौवन है, तो वह और निखरता है।
पौरुष शक्‍ति बढाए- अगर काली उड़द को पानी में 6 से 7 घंटे के लिये भिगो कर उसे घी में फ्राई कर के शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो पुरुष की यौन शक्‍ति बढती है तथा सभी विकार दूर होते हैं...
सुंदरता निखारे- चेहरे पर झाइयां और मुंहासों के दाग को उड़द दाल के फेस पैक से साफ किया जाता है। इससे चेहरे में निखार आता है और चेहरा चमकदार बन जाता है।
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Monday, September 8, 2014

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